तो क्या राष्ट्रीय प्रतियोगिता परीक्षाएं 'राष्ट्र निर्माण में युवा व्यक्तित्व की भूमिका' को इग्नोर कर रही हैं? क्योंकि वो व्यक्तित्व और 'व्यक्तित्व निर्माण में को-करिकुलर एक्टिविटीज की भूमिका' दोनों पर फोकस नहीं करतीं. व्यक्तित्व किसी भी पब्लिक सर्विस का अहम हिस्सा है. और को-करिकुलर एक्टिविटीज इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. जिसमें स्वतंत्र सोच, अद्वितीय व्यक्तित्व और पर्सनल इंटीग्रिटी भी शामिल है. लेकिन कोचिंग संस्थान समय और स्पेस की कमी की वजह से इन पर ध्यान नहीं देते हैं. जो छात्र UPSC या अन्य परीक्षाओं की तैयारी के लिए बाहर रहते हैं वो सिर्फ किताबी ज्ञान पर फोकस करते हैं जिससे वास्तव में उनका आधा अधूरा व्यक्तित्व ही बनता है. कोचिंग के लिए छात्र कॉलेज अटेंड नहीं करते और यदि छात्र कॉलेज अटेंड करें तब भी कॉलेजों में को-करिकुलर एक्टिविटीज नहीं होती हैं. कॉनक्लूजन ये कि छात्रों के व्यक्तित्व पर एजुकेशन सिस्टम का ध्यान नहीं है जिससे राष्ट्र की ओवरऑल तस्वीर अच्छी नहीं बन रही है. और इसी कमी को दूर करने के लिए Let's Talk Personalized Learning (A Finishing Academy) ने प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए विशेष Personality Development Program विकसित किया है. ये एक मोटिवेशनल प्रोग्राम है जिसमें करियर प्लानिंग, जनरल अवेयरनेस, फाउंडेशन कोर्स फॉर कॉम्पिटेटिव एग्जाम और व्यक्तित्व निर्माण शामिल है. यह कोर्स छात्रों के प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता के चांस बढ़ाएगा और उन्हें अपना बेस्ट वर्जन बनने के साथ एक बेहतर जिंदगी की फाउंडेशन भी प्रदान करेगा. प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे सभी छात्र यह कोर्स ज्वाइन कर सकते हैं. सभी शैक्षणिक संस्थाएं हमसे संपर्क कर सकती हैं Ph. 8770917653
तो पृथ्वी पर दो प्रकार के जीव रहते हैं. अब तक दुनिया इन्हे अच्छे बुरे में बांटती आई. यदि अच्छे बुरे की प्रोग्रेसिव परिभाषा देखें तो अच्छा वो जो फ्रस्ट्रेट नहीं होता. और बुरा वो टॉक्सिक पर्सन जो ऐसा वातावरण बनाता है जिससे लोगों में फ्रस्ट्रेशन आए. सबसे पहले ये देखें कि बुरा क्या है? किसी भी जीव की डिग्निटी का डिसरिस्पेक्ट बुरा है. अर्थात जीवन अपने आप में महत्वपूर्ण है. दूसरों के सापेक्ष वो अच्छा या बुरा है. जब पृथ्वी एक देश हो जाएगी तो अच्छा बुरा को परिभाषित करना ज्यादा आसान होगा क्योंकि तब वो सबके सापेक्ष होगा. यदि सम्पूर्ण जीवों के संदर्भ में अच्छा बुरा सोचा जाए तो अच्छा और बुरा क्या होगा? बुरा और असभ्य लगभग एक ही बात है. बुरा या असभ्य व्यक्ति जजमेंटल, रिएक्टिव और हिंसक होता है क्योंकि वो इग्नोरेंट और इनसिक्योर होता है. वो मानसिक बेड़ियों जैसे गलतफहमियों या जातिवादी भावनाओं से मुक्त नहीं हो पाता। आपका स्टेटस अमीर-गरीब, कमजोर-शक्तिशाली, स्किल्ड-अनस्किलड कुछ भी हो सकता है लेकिन आपको जो बुरा बनाता है वो आपका जजमेंटल, रिएक्टिव और हिंसक बिहेवियर है. और ये इसलिए क्योंकि आपमें सेल्फ अवेयरनेस और इनफॉर्म्ड डिसीजन मेकिंग की कमी है. और इसके लिए जरूरी है कि पर्सनल डेवलपमेंट की ट्रेनिंग ली जाए जो Let's Talk Personalized Learning (A Finishing Academy) उपलब्ध करवाती है. पर्सनल डेवलपमेंट का अर्थ है अपनी उस नकारात्मकता के प्रति अवेयर होना जो आपको बुरा बनाती है और उस सकारात्मकता को समझना जो आपको अच्छा बनाती है. तो अच्छा क्या है. अच्छाई की एक परिभाषा ये कि ये बुराई की अनुपस्थिति है. अर्थात आप जजमेंटल, रिएक्टिव और हिंसक नहीं हैं तो अच्छे हैं. मतलब आप फ्रस्ट्रेट नहीं होते हैं. अर्थात आपमें पर्सनल डिग्निटी और इंटीग्रिटी है. इसके आगे चलें तो आप सकारात्मक और सुंदर है. सुंदर अर्थात आप आत्म विश्वास से भरपूर हैं और खुशियां क्रिएट करते हैं. आप अपना बेस्ट वर्जन बनने की कोशिश करते हैं. यही पर्सनल डेवलपमेंट है जो आपको एक सेल्फ कॉन्फिडेंट और अच्छा इंसान बना देता है. Let's Talk Personalized Learning (A Finishing Academy) का ये Personal Development Course अखिलेश खरे ने डेवलप किया है और दुनिया में सबके लिए उपलब्ध है. कोई भी प्रोग्रेसिव व्यक्ति हमसे संपर्क कर सकता है. Ph. 8770917653
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